करीब एक सौ साल पहले दुसरा तोरण, जो कि दो तोरण में ज्यादा सुंदर है, वडोदरा के तत्कालिन महाराजा सयाजी राव के आदेश पर वडोदरा ले जाने के लिए नीचे उतार दिया गया था। जब वडनगर के लोगों ने इस का डट कर विरोध किया, तो यह योजना छोड़ दी गई। लेकिन, यह तोरण के नीचे उतार दिए गए अलग अलग हिस्से पहले तोरण के नजदीक वैसे ही छोड़ दिए गए। समय के जाते इस तोरण के उपर के हिस्से की कई सुंदर प्रतिमाए चोरी हो गई। सन २००७ में भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (ऐ. एस. आई.) ने इस तोरण का पुन:निर्माण किया। अब पुन: खडा किया गया यह तोरण अभूतपूर्व दृश्य पेश करता है।